इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा में कोविड-19 का प्रभाव

 

धनकुमार महिलाँग

लाइब्रेरियन, नवीन शासकीय महाविद्यालय, अकलतरी, बिलासपुर (..)

*Corresponding Author E-mail: dr.mdkumar87@gmail.com

 

ABSTRACT:

21 वीं शताब्दी के इस दूसरे दशक में चाहे वह निम्न शिक्षा हो या उच्च शिक्षा दोनों का पठन-पाठन का समूचा परिदृष्य बहुत बदल चुका हैआज शिक्षा का स्तर नवीन युगीन साधनों तथा युक्तियों से सुसज्जित होती जा रही हैवर्तमान समय के इस डिजिटल युग में शिक्षा के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा, साधारण ब्लैक बोर्ड की जगह पर स्मार्ट बोर्ड क्लास ने ले ली है और विभिन्न प्रकार के मार्कर पेन ने चॉक का स्थान ले लिया हैवही देखें तो आज क्लास के स्थान पर ई-क्लास जो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सुचारू रूप से संचालित होने वाली एप जैसे जूम एप (Zoomapp), यूट्यूब (Youtube), गूगल मीट (Google Meet), वेब एक्सएस (web xs) आदि के माध्यम से विद्यार्थी घर बैठे ई-क्लास, ई-शिक्षा प्राप्त कर रहे हैंएप का कोरोना संकट में स्कूल शिक्षा उच्च शिक्षा, शोधार्थी या अन्य शैक्षणिक संस्थान के पुस्तकालय के पाठक अपनी आवश्यकतानुसार ई-शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक संसाधन जो ई-पुस्तकालय से अपने उपयोग के आधार पर ऑनलाइन सेवाएं प्राप्त कर रहे हैं, के स्थान पर लेजर पाइंटर ने ले ली हैइसी तरह से स्लाइड प्रोजेक्टर तथा एल.सी.डी. प्रोजेक्टर अब हर क्लास की अनिवार्य रूप से उपयोग होते जा रहे हैंइसी प्रकार से डिजिटल युग में अब शिक्षा का माध्यम ई-शिक्षा की दिशा में अग्रसर हो रही हैप्रस्तुत लेख करोना संकट के दौर को ध्यान में रखते हुए ‘‘21वीं शताब्दी में इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा में कोविड-19 का प्रभावपर प्रकाश डाला गया है, जो कि कोविड-19 के दौर को प्रभावित करता है

 

 

KEYWORDS: इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा, कोविड-19 का प्रभाव, स्वयं, ई-पाठशाला, ईपीजी पाठशाला, स्वयंप्रभा

 

 

INTRODUCTION:

21वीं शताब्दी के इस दौर में करोना काल में या संकट की इस घड़ी में चीजें पल-पल में बदल रही हैपिछले तीन दशकों को देखें तो सूचना एवं सम्प्रेषण प्रौद्योगिकी का उपयोग तीव्र गति से बढ़ते दिखाई दे रहा हैकोरोना संकट की इस घड़ी में पुस्तकालय हो या ई-शिक्षा ऑनलाइन सेवाएंकार्य प्रदान किये जा रहे हैं

 

आज के वर्तमान समय को डिजिटल युग कहा जाता हैक्योंकि देश में अस्सी के दशक के मध्य से शुरू हुए कम्प्यूटरीकरण ने सूचना तथा सम्प्रेषण प्रौद्योगिकी को पंख लगा दिएविगत कुछ वर्षो के दौरान डिजिटल माध्यम एक सशक्त तथा प्रभावी विद्या के रूप में उभरा हैशिक्षा के क्षेत्र में पठन-पाठन के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा सामाग्री जो वर्तमान में कोरोना संकट की दौर में बहुत ही उपयोगी साबित हो रही है तथा इन दिनों में इसके विकास पर तीव्र गति से काफी जोर दिया जा रहा है

 

इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा :-

आज से कुछ वर्ष पहले इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा की अवधारणा आई थी तो देश इसके प्रति उतनी सहज नहीं थी, परन्तु देश में मार्च 2019 से जब से कोरोना संकट पैदा हुआ है, संकट की इस घड़ी में सार्वभौमिक (सभी) क्षेत्रों में परिवर्तन की लहर दिखाई प्रतीत हो रही हैअब समय के साथ ही इस डिजिटल युग के साथ ही ई-शिक्षा ने संपूर्ण शैक्षणिक व्यवस्था में अपना स्थान बना चुका हैइलेक्ट्रॉनिक शिक्षा के विभिन्न स्वरूप होते हैं, जो निम्नलिखित इस प्रकार से हैं:-

 

कम्प्यूटर, लैपटॉप आधारित लर्निंग

मोबाइल आधारित लर्निंग

वेब आधारित लर्निंग

वर्चुअल क्लास रूम

यूट्यूब (ल्वनजनइम) लर्निंग आधारित आदि

 

परिभाषाः- ‘‘इलेक्ट्रांॅनिक शिक्षा वह होता है, जो अपने स्थान पर ही अर्थात् चाहे घर पर भी बैठकर एप यूट्यूब, वेबेक्स, इंटरनेटअन्य संचारसोशल मीडिया उपकरणों की सहायता से प्राप्त की जाने वाली शिक्षा को इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा कहते हैं

 

इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा के बढ़ते उपयोग:-

कोविड-19 के दौर में सबसे अधिक इलेक्ट्रांॅनिक शिक्षा का उपयोग पाठक अपने घर पर सेफ रहकर बीमारी के डर से प्राप्त करना चाहते हैं और उपयोग कर भी रहे हैं, केन्द्र शासन हो या राज्य शासन ई-शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्य किये जा रहे हैंहमारे छत्तीसगढ़ राज्य सरकार भूपेश बघेल द्वारा भी ई-शिक्षा की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए स्कूली शिक्षा में ‘‘पढ़ई तुहर द्वार’’ के द्वारा पूरा छत्तीसगढ़ राज्य में उपयोग किया जा रहा है, जो स्कूली विद्यार्थी पूरा सहयोग के साथ ई-शिक्षा की प्राप्ति कर रहे हैंइसी प्रकार से ई-शिक्षा के बढ़ते उपयोग के निम्न कारण हैः-

    समय की बचत

    बीमारी के खतरे से दूर

    पढई तुहर द्वारा का भरपूर उपयोग

    देश के प्रति आने वाले समस्याओं का सामना करना

    ई-शिक्षाइलेक्ट्रॉनिक संसाधन से लाभ प्राप्त करना

 

कोविड-19 का प्रभाव:-

कोविड-19 महामारी, 2019 में चीन के वुहान से प्रकाष में आई और पूरे विश्व में एक महामारी के वाहक के रूप में प्रसारित हुआ। कोविड-19 के पहले मामले की पुष्टि 31 दिसंबर, 2019 को हुई थी, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को चीन के वुहान में बिना किसी ज्ञात कारण के निमोनिया के रोगियों की रिपोर्ट मिली थी। 11 जनवरी, 2020 को, चीन के वुहान में 61 वर्षीय व्यक्ति की पहले कोविड-19 पीड़ित के रूप में मृत्यु हुईविश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने फरवरी में वायरस के आधिकारिक नाम के रूप में कोविड-19 का सुझाव दिया, जो कि कोरोनो वायरस बीमारी 2019 का संक्षिप्त नाम है। 11 मार्च, 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को महामारी घोषित किया। 27 जनवरी 2020 में भारत में भारत में कोविड-19 महामारी का पहला मामला केरल राज्य में दर्ज किया गया। 12 मार्च, 2020 को भारत में कोविड-19 से पहली मौत दर्ज की गईइसने दुनिया भर में 300.851 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित किया। 23 देशों ने देशव्यापी बंदी और स्थानीय बंदी लागू की, जिससे कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित किया जा सकेविश्वभर में लगभग 1.3 अरब से अधिक छात्र स्कूल बंद होने के कारण प्रभावित हुएमहामारी फैलने से पहले, पूरे विष्व के स्कूलों और उच्च शिक्षण संस्थानों में लगभग 320 मिलियन छात्र नामांकित थेमहामारी के परिणामस्वरूप, पूरे देश को लॉकडाउन किया गयावर्ष 2021, में कोविड-19 की पहली लहर के दौरान भारत में सभी स्कूल एक साल से अधिक समय तक पूरी तरह से बंद रहे, जिससे प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में नामांकित 247 मिलियन छात्र प्रभावित हुए

 

विश्व में बच्चों को शिक्षित करने संस्थानों ने दूरस्थ शिक्षा जैसी कार्यक्रम को प्रारंभ किया, जिससे छात्रों की शैक्षणिक गतिविधियों को निरंतर जारी रख सकेहालाँकि, दुनिया भर में कई बच्चों, विशेष रूप से गरीब परिवारों के बच्चों के पास घर पर इंटरनेट, पर्सनल कंप्यूटर, फोन, टेलीविजन यहां तक कि रेडियो तक कि भी पहुंच नहीं थी, जिससे मौजूदा सीखने की असमानताओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालाजिन छात्रों के पास घर-आधारित दूरस्थ शिक्षा के लिए आवश्यक उपकरणों तक पहुंच कि सुविधा नहीं थी, उनके पास अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के विकल्प सीमित थेपरिणामस्वरूप, पूरे विश्व में वर्षों की शैक्षिक उपलब्धि खतरें में थीइस बीच, कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के प्रयास में, भारत सरकार ने देशव्यापी तालाबंदी के तहत सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया, जिससे प्राथमिक विद्यालय से लेकर स्नातकोत्तर तक के विद्यार्थी प्रभावित हुएमहामारी का एक प्राथमिक प्रभाव भारतीय शिक्षा प्रणाली पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला

 

लगातार दूसरे वर्ष साल के अंत की परीक्षाएं स्थगित या रद्द कर दी गई, कुछ मामलों में आंतरिक आकलन से प्रतिस्थापित कर दिया गयापरिणामस्वरूप, कोविड-19 ने प्रस्तुत अनेक कठिनाइयों और संभावनाओं वाले शिक्षण संस्थानों को अपनी तकनीकी विशेषज्ञता और बुनियादी ढाँचे में सुधार को प्रोत्साहित कियालॉकडाउन ने शिक्षकों और छात्रों को रोशनी की किरण दी ताकि वे अपनी शिक्षण गतिविधियों को ऑनलाइन जारी रख सकेशिक्षकों ने इंटरनेट के माध्यम से छात्रों को असाइनमेंट वितरित किए और ज़ूम, गूगल मीट, फेसबुक, यूट्यूब और स्काइप जैसे ऐप्स का उपयोग करके लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से व्याख्यान दिएप्रभावी संचार के लिए प्रशिक्षकों, छात्रों और छात्रों के अभिभावकों के व्हाट्सएप समूह बनाएं, जो इस ई-माध्यम से अपने मुद्दों को साझा करने के लिए हमेशा संपर्क में रहेसमग्र रूप से, भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणाली वैश्विक शिक्षा प्रणाली को नया आकार देने में आवश्यक भूमिका के लिए प्रयास किया गया

 

इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा का कोविड-19 में प्रभाव:- इस कोरोना संकट ने मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्रों को प्रभावित किया हैइलेक्ट्रॉनिक शिक्षा भी इसके अपवाद नहीं हैशिक्षा के क्षेत्र में दृष्य, श्रव्य प्रणाली का प्रचलन तीव्र गति से बढ़ता जा रहा हैसुगम तथा अच्छा प्रस्तुतिकरण के लिए टच स्क्रीन वाले बोर्ड अब स्कूल कॉलेज विश्वविद्यालय एवं कोचिंग संस्थाओं में भी प्रयोग किये जा रहे हैंशिक्षण प्रणाली के तौर-तरीकों में भी तीव्र गति से बदलाव अर्थात् परिवर्तन दिखाई दे रहा है

 

कोविड-19 महामारी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण विद्यालय महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय की शिक्षा प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रही हैइसी के परिणाम स्वरूप देखा जाए तो शिक्षा अब तीव्र गति से इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा की ओर अग्रसर हो रही है

 

भारत सरकार के द्वारा कोविड-19 अवधि के दौरान इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किये गये प्रयास:-

इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए चाहे वह राज्य सरकार हो या केन्द्र सरकार सभी अपने-अपने स्तर पर ई-लर्निंग कार्यक्रमों का समर्थन किया हैइलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इसे बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से उपकरण और तकनीकी विकसित करने पर बल दिया जा रहा हैहमारे भारत देश में एक विशाल बाजार ई-शिक्षा के क्षेत्र में तैयार होने की उम्मीद हैअधिक संख्या में नए पाठक इंटरनेटअन्य सम्प्रेषण उपकरणों के माध्यम से ई-शिक्षा तक पहुंॅच रहे हैं, जैसे:-

1. पीएम ईविद्या: पीएम ईविद्या एक व्यापक पहल है जो शिक्षा तक मल्टी-मोड पहुंच प्रदान करने के लिए डिजिटल/ऑनलाइन/ऑन-एयर शिक्षा से जुड़ी सभी पहलों को एकजुट करती है

 

2. Diksha Portal: 5 सितंबर, 2017 को, भारत के माननीय उपराष्ट्रपति ने औपचारिक रूप से दीक्षा (ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर) का शुभारंभ कियायह एक राष्ट्रीय शिक्षक मंच है जिसका उपयोग वर्तमान में देश भर के शिक्षकों और छात्रों द्वारा दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से स्कूली शिक्षा प्रदान करने के लिए किया गयाराष्ट्रीय शिक्षक मंच का नया नाम दीक्षा हैदीक्षा का आदर्श वाक्य हैहमारे प्रशिक्षक हमारे नायक हैं।“ इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए समग्र शिक्षा सुनिश्चित करते हुए उनकी अध्ययन को सामान्य रूप से जारी रखने में सहायता करना हैदीक्षा पोर्टल में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए पाठ्यक्रम से जुड़ी ई-लर्निंग सामग्रियां शामिल है, जिसमें वीडियो पाठ, वर्कशीट, पाठ्यपुस्तकें आदि शामिल हैंराष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और एनसीईआरटी के मार्गदर्शन में 250 से अधिक शिक्षकों द्वारा कई भाषाओं में बनाया गयायह एप्लिकेषन ऑफलाइन उपयोग के लिए उपलब्ध है, कक्षा 1 से 12 तक के लिए सीबीएसई, एनसीईआरटी द्वारा कई भाषाओं में तैयार किया गया जिसमें 80,000 से अधिक ई-पुस्तकें उपलब्ध हैंइसे अंतर्निहित वस्तु, पाठ्यपुस्तकों पर क्यूआर कोड के माध्यम से भी देखी जा सकती हैदीक्षा पोर्टल स्कूली शिक्षा के लिए एक उन्नत डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो एंड्रॉइड और आईओएस उपयोगकर्ताओं के लिए भी उपलब्ध है

 

3. e-Pathshala: ई-पाठशाला एनसीईआरटी द्वारा कक्षा 1 से 12 तक के लिए कई भाषाओं में एक ई-लर्निंग ऐप हैऐप में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी सहित कई भाषाओं में किताबें, वीडियो, ऑडियो आदि उपलब्ध हैंइस वेब पोर्टल में एनसीईआरटी ने विभिन्न भाषाओं में कक्षा 1 से 12 तक के लिए 1886 ऑडियो, 2000 वीडियो, 696 ई-पुस्तकें और 504 पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध हैं

 

4. National Repository of Open Educational Resources (NROER): नेशनल रिपोजिटरी ऑफ ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज पोर्टल छात्रों और शिक्षकों के लिए कई भाषाओं में कई संसाधन उपलब्ध कराता है, जिसमें किताबें, इंटरैक्टिव मॉड्यूल और कई एसटीईएम-आधारित गेम सहित वीडियो शामिल हैंकक्षा 1-12 के पाठ्यक्रम में पाठ्यपुस्तक की अंतर्निहित वस्तु को दिया गया है, जिसमें शिक्षकों के लिए संरेखित संसाधन भी शामिल हैंइसमें विभिन्न भाषाओं पर 401 संग्रह, 2779 दस्तावेज, 1345 इंटरैक्टिव, 1664 ऑडियो, 2586 चित्र और 6153 वीडियो सहित कुल 14527 फाइलें हैं

 

5. SWAYAM: स्वयं एक राष्ट्रीय ऑनलाइन ई-लर्निंग ऐप ह,ै जिसका उद्देश्य शिक्षा नीति के तीन प्रमुख सिद्धांतोंः पहुंच, समानता और गुणवत्ता को प्राप्त करना हैस्वयं (SWAYAM) उन छात्रों के लिए डिजिटल विभाजन को समाप्त करना है, स्वयं एक ऐसा मंच है जो किसी को भी, कहीं भी, किसी भी समय, और बिना किसी लागत के कक्षा 9 से लेकर स्नातकोत्तर कक्षाओं में पढ़ाए जाने वाले सभी पाठ्यक्रमों तक अध्ययन की अनुमति देता हैयह 4 चतुर्थांशों पर कार्य करता है; (ए) वीडियो व्याख्यान (बी) पठन सामग्री (सी) परीक्षण और प्रश्नोत्तरी (डी) ऑनलाइन संदेह निवारण सत्रजो इंजीनियरिंग, मानविकी और सामाजिक विज्ञान, कानून और प्रबंधन पाठ्यक्रमों सहित सभी विषयों में स्कूल (कक्षा 9 से 12) और उच्च शिक्षा (स्नातक, स्नातकोत्तर कार्यक्रम) के लिए लगभग1900 पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं

 

6. Swayam Prabha: स्वयंप्रभा के पास 32 डीटीएच टीवी चैनल के साथ प्रसारित होने वाले शैक्षणिक पहल है जो 24ग7 आधार पर शैक्षिक सामग्री प्रसारित करते हैंये चैनल डीडी फ्री, डिश, सेट टॉप बॉक्स और एंटीना का उपयोग करके पूरे देश में उपलब्ध हैंचैनल शेड्यूल और अन्य विवरण पोर्टल पर उपलब्ध हैंस्वयंप्रभा चैनल कक्षा 9 से 12 तक एनसीईआरटी और सीबीएसई, केवीएस, एनआईओएस, रोटरी और अन्य संगठनों द्वारा बनाए गए पाठ्यक्रम-आधारित शिक्षा कार्यक्रमों को प्रसारित करते हैंवीडियो सामग्री बनाने के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों का उपयोग किया गया हैचैनल विज्ञान, वाणिज्य, प्रदर्शन कला, सामाजिक विज्ञान और मानविकी विषयों में स्कूली शिक्षा (कक्षा 9 से 12) और उच्च शिक्षा (स्नातक, स्नातकोत्तर, इंजीनियरिंग स्कूल से बाहर के बच्चे, व्यावसायिक पाठ्यक्रम और शिक्षक प्रशिक्षण) दोनों के लिए उपलब्ध हैं

 

7. e-PG Pathshala: ई-पीजी पाठशाला स्नातकोत्तर छात्रों के लिए हैस्नातकोत्तर छात्र इस लॉकडाउन अवधि के दौरान ईबुक, ऑनलाइन पाठ्यक्रम और अध्ययन सामग्री के लिए इस ऐप का उपयोग कर सकते हैंइस प्लेटफॉर्म का महत्व यह है कि छात्र पूरे दिन इंटरनेट के बिना भी इन सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं

 

1. रेडियो: दूर-दराज के इलाकों के युवाओं के लिए जिनके पास इंटरनेट तक पहुंच नहीं है, रेडियो प्रसारण का उपयोग कर कक्षा 9 से 12 तक के लिए एनआईओएस की अध्ययन सामग्री 289 सामुदायिक रेडियो स्टेशनों पर भी प्रसारित की गईसीबीएसई, षिक्षा प्रसार के लिए शिक्षा वाणी नामक पॉडकास्ट का उपयोग कक्षा 9 से 12 के शिक्षार्थियों द्वारा प्रभावी ढंग से किया ंगयाएंड्रॉइड फोन उपयोगकर्ताओं के लिए, सीबीएसई-शिक्षावाणी प्ले स्टोर पर उपलब्ध हैशिक्षावाणी में अब एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के विषयों को कवर करने वाली ऑडियो फाइलों के रूप में 400 से अधिक अध्ययन सामग्री हैंरेडियो, यूट्यूब और टेलीविजन पर, दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो देश भर में आभासी कक्षाएं और शैक्षिक जानकारी प्रसारित कर रहे हैं

 

2. eCwSN (Children with Special Needs): दृष्टिबाधित शिक्षार्थियों के लिए अध्ययन सामग्री डिजिटल रूप से सुलभ सूचना प्रणाली में विकसित की गयी हैयह पाठ्य स्वयंप्रभा के ज्ञानामृत चैनल 30 पर प्रसारित होते हैंएनआईओएस पाठ्यक्रम सामग्री को सांकेतिक भाषा में भी रिकॉर्ड किया गया है और यह श्रवण बाधित छात्रों के लिए छप्व्ै ;छंजपवदंस प्देजपजनजमिव्चमद ैबीववसपदहद्ध वेबसाइट और यूट्यूब पर उपलब्ध है  इसके अलावा, छप्व्ै ने माध्यमिक स्तर और योग पाठ्यक्रमों में छात्रों को शैक्षिक पहुंच प्रदान करने के लिए सात विषयों में सांकेतिक भाषा में 270 से अधिक वीडियो बनाये गये हैं

 

3. ई-पाठ्यपुस्तकें: ई-पाठ्यपुस्तकें, ई-पाठशाला वेबसाइट और मोबाइल ऐप (एंड्रॉइड, आईओएस, विंडोज) के माध्यम से पहुंच योग्य हैं। 377 ई-पाठ्यपुस्तकों (कक्षा 1 से 12) और एनसीईआरटी की 3,500 ऑडियो और वीडियो सामग्री सहित 600 से अधिक डिजिटल किताबें विभिन्न भाषाओं (हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और उर्दू) में सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं

 

4. मनोदर्पण: मनोदर्पण की शुरुआत केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने छात्रों और शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य और चिंताओं के मुद्दों को बढ़ावा देने और कोविड 19 और उससे आगे की स्थितियों के दौरान मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक पहलू को संबोधित करने की एक पहल हैं

 

5. कोविड-19 के दौर में इलेक्ट्रॉनिक शिक्षा की रास्ते में विभिन्न चुनौतियाँ निम्नलिखित इस प्रकार से हैः-

1.   विद्यार्थी बिना किसी सहपाठियों एवं शिक्षक के स्वयं करता रहता हैं

2.   सर्वर की समस्या उत्पन्न होता है

3.   मोबाइल के माध्यम से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते समय नेटवर्क का बार-बार कटने से शिक्षा प्राप्ति में बाधा या अवरोध उत्पन्न होता है

4.   ऑनलाइन क्लास में प्रायोगिक एवं लैब का कार्य करना कठिन होता है

5.   कोरोना संकट में ई-शिक्षा ग्रामीण क्षेत्रों एवं सुदुर अंचल के विद्यार्थियों के लिए चुनौती भरा है

6.   छत्तीसगढ़ में इंटरनेट की धीमी गति से ई-शिक्षा की रास्ते में सबसे बड़ी चुनौती है

7.   छत्तीसगढ़ राज्य में विद्युत व्यवस्था का अभाव एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी का अभाव जो ई-शिक्षा में रूकावट बन सकती है

8.   पुराने कम्प्यूटर पाठ्यक्रम एक्सेस करने वाली सामाग्री को निराशाजनक साबित हो सकते हैं

9.   ई-शिक्षा ग्रहण ने विद्यार्थी अनुशासन एवं संगठनात्मक कौशल के अभाव में पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं

 

निष्कर्ष:-

कोविड -19 के वैष्विक प्रभाव ने भारत के शिक्षा क्षेत्र पर अत्यधिक प्रभावित किया हैहालाँकि इसने कई चुनौतियां भी उत्पन्न हुई, जिनका सामना करने के विभिन्न अवसर भी विकसित हुएभारतीय सरकार और शिक्षा के विभिन्न हितधारकों ने कोविड-19 के वर्तमान संकट से निपटने के लिए विभिन्न डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाकर मुक्त और दूरस्थ शिक्षा की संभावना को संभव कियाडिजिटल प्लेटफॉर्म द्वारा देश के सभी वर्गों तक शिक्षा की पहुंच को सुगम करने के प्रयास किए गए।वर्तमान में डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के चयन से, कुछ छात्रों को समस्याओं का सामना भी करना पड़ाहालाँकि, विश्वविद्यालय और भारत सरकार इस समस्या का समाधान खोजने के लिए अथक प्रयासरत रहेइसका उद्देश्य लाखों युवा भारतीय छात्रों को बेहतर स्थिति में लाने के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग करना थाशैक्षणिक संस्थानों को कोविड-19 जैसी स्थितियों के लिए तैयार रहने के लिए अपने ज्ञान और सूचना संचार तकनीक(आईसीटी) द्वाराप्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे को मजबूत करना थाऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का अधिकतम उपयोग करने की आवश्यकता थी, ताकि छात्रकेवल अपनी डिग्री समय पर पूरी कर सकें बल्कि भविष्य की डिजिटल रूप से उन्मुख दुनिया के लिए भी तैयार हो सकेंभौतिक उपस्थिति के साथ ऑनलाइन अध्ययन छात्रों के लिए सहायक हैइसलिए इसे लॉकडाउन के बाद भी जारी रखा जाना चाहिएभारत को यह सुनिश्चित करने के लिए नवीन उपाय करने चाहिए कि सभी बच्चों को शिक्षा तक निरंतर पहुंच मिलेसमय की मांग है कि शैक्षणिक संस्थान अपने ज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे को मजबूत करें ताकि वे कोविड-19 जैसी स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहेंइस कार्य में शैक्षिक प्रणाली पर कोविड-19 के प्रभाव का कोई सांख्यिकीय विश्लेषण शामिल नहीं है; हालाँकि, सांख्यिकीय शोध का उपयोग करके अधिक गहन शोध की जा सकती है

 

संदर्भ:-

1.    महिलाँग धनकुमारए मालवीय .रामानंद ;2021द्धए इलेक्ट्रॉनिक प्रकाशन की नवीन प्रवृत्तियाँ और ई-सूचना स्त्रोतों के प्रकार: एक अध्ययनए कला सरोवरए 24.नं. 4 भाग 3ए पृष्ठ 362-366

2.    शर्मा ए.के.): ई-सूचना स्त्रोत एवं सेवाएं, एस.एस. पब्लिकेशन नई दिल्ली 2012 पेज नं. 218-222.

3.    ग्रंथालय विज्ञान पत्रिका खण्ड एस.-1 वर्ष 2020 पेज नं. 33-38 डॉ. एस.पी.सूद

4.    ग्रंथालय एवं आधुनिक प्रौद्योगिकी लाल सी (2009) एस.एस. पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली मिशन के.के.

5.    वैज्ञानिक हिन्दी विज्ञान साहित्य परिषद की पत्रिका (नवम्बर 2012) होमी भाषा विज्ञान शिक्षा केन्द्र बी.एन.पुरव मार्ग, मानखुर्द मुम्बई.

6.    ई-प्रकाशन: मार्स पुनः प्राप्त 13 जुलाई 2018

7-    sers/shikh/Downloads/ImpactCovid-19onEdnIJCRJuly2020.pdf

8-    https://pmevidya.education.gov.in/diksha.html

9-    https://www.researchgate.net/publication/361813544 BASIC OF EDUCATION THE MEANING AND SCOPE OF EDUCATION

10-  https://sol.du.ac.in/solsite/Courses/UG/StudyMaterial/16/Part1/ED/English/SM-1.pdf

11-  conomictimes.indiatimes.com/news/economy/indicators/41-lakh-youth-lose-jobs-in-india-due-to-covid-19-pandemic-ilo-adb-report/articleshow/77613218

12-  https://en.wikipedia.org/wiki/Impact_of_the_COVID-19_pandemic_on_education

13-  https://www.socialbakers.com /blog/impact-of-coronavirus-on-education

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15-  https://www.weforum.org/agenda/2020/04/coronavirus-education-global-covid19-online-digital learning /

16-  https://library.wab.edu/ms/Covid19Students/Online

17-  https://www.facebook.com/UNICEFNZ/posts/while-countries-are-atdifferent-points-in-their-covid 19 - infection - rates - worldw / 10158481690053324

18-  https://epgp.inflibnet.ac.in.

 

 

 

Received on 24.04.2025      Revised on 12.05.2025

Accepted on 26.05.2025      Published on 05.06.2025

Available online from June 10, 2025

Int. J. of Reviews and Res. in Social Sci. 2025; 13(2):82-88.

DOI: 10.52711/2454-2687.2025.00014

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